By Nisha Singh & Veeramalli Yamini
एनएसएस अभियान के दौरान हमें कुछ ऐसे छात्रों से परिचित होने का मौका मिला जो शिक्षा से जुड़ी सारी सुविधाएं ना मिलने के बावजूद भी प्रतिभाशाली थे| इनमें से ही एक छात्र सफीर, जो बन्नेरघट्टा में मनटापा के सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय में छठी कक्षा में पढ़ते हैं, उन्हें नई-नई चीजें सीखने की चाह थी| 10 वर्षीय इस छात्र को पांच प्रकार की भाषाएं आती थी (हिंदी, तेलुगू, कन्नड़, उर्दू, एवं अंग्रेजी) और इस बच्चे का दिमाग इतना तेज था कि कम समय में ही लोगों की नकल करके उनके कार्य को भी सीख जाता था|
जिस तरह कमल एकमात्र ऐसा फूल है जो हमें यह सिखाता है कि हम आने वाले भविष्य में कहां पहुंचेंगे वह महत्वपूर्ण रखता है ना कि हम कहां से आए हैं, उसी तरह सफीर की यह लगन एवं शिक्षा के प्रति चाह देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि आज के यह बच्चे हमारा भविष्य है|
वहीं कुछ स्कूल में शिक्षकों की कमी थी| स्कूल में सिर्फ एक या दो शिक्षक थे जो छात्रों को सारे विषय पढ़ाते थे, शिक्षकों के अभाव का मुख्य कारण यह था कि उन्हें सामान्य से भी कम आमदनी प्राप्त होती थी| "अगर शिक्षकों की आमदनी बढ़ा दी जाए तो सभी विषय के लिए व्यक्तिगत रूप से शिक्षकों को नियुक्त किया जा सकता है" गांव के एक शिक्षक ने कहा l
यह सारी सुविधाएं उपलब्ध होने के बाद सफीर जैसे और भी छात्र उभर कर सामने आ सकते हैं|