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"अच्छे लुक्स और औसतन अभिनय के साथ आप एक हीरो तो बन सकते हैं लेकिन खलनायक के किरदार के लिए एक अच्छे अभिनय की जरूरत होती है, लुक्स मायने नहीं रखते।" बैडमैन (गुलशन ग्रोवर) ने कहा।
बैंगलोर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन, टेलीविज़न इंडस्ट्री में निभा रहे खलनायक किरदारों में से एक शानदार अभिनेता गुलशन ग्रोवर आये थे। उन्होंने लिट फेस्ट में आये लोगों के साथ अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘बैडमैन’ से जुड़े कुछ विषय पे चर्चा की और अपने बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक के करियर का सफर दर्शक के साथ शेयर किया।
1997 में उन्होंने अपनी पहली हॉलीवुड फिल्म "द सेकंड जंगल बुक मोगली एंड बालू" में काम किया। और यह भी बताते है कि उन्होंने अभिनेता बनने के सपने को पूरा करने के लिए बहुत मेहनत की। लोकप्रिय अभिनेता गुलशन ग्रोवर को बॉलीवुड इंडस्ट्री में 'बैडमैन' के रूप में जाना जाता है। ग्रोवर को यह नाम 'राम लखन' फिल्म में 'केसरिया विलायती' उर्फ ‘बैडमैन’ की भूमिका निभाने के बाद मिली। उनका किरदार दर्शकों के बीच इतना लोकप्रिय हो गया कि वह आज भी उस नाम से पहचाने जाते हैं।
उन्होंने अपने संघर्षपूर्ण सफर के बारे में उल्लेख किया,"मैं जिस जगह से, जिन परिस्थितियों का सामना करके आया हूं, वही मेरे पिताजी जो कि एक लेखक थे, कहा कि शिक्षा एक मजबूत नींव है जिससे हर समस्या से ऊपर उठा जा सकता है। तब मैंने सरकारी स्कूल से पढ़ाई शुरू की और हमेशा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुआ।"
कितना मुश्किल होता है, एक खलनायक के किरदार को निभाना और क्या-क्या परिणाम झेलने पड़ते थे उस समय में इसके वजह से? बैडमैन ने कहा "जब हम परदे पे नेगेटिव रोल्स निभाते है तो वास्तविक रूप से दर्शको के मन में हमें लेकर एक खलनायक की छवि बन जाती है। जिनके वजह से हमारे परिवार के सदस्यों के लिए थोड़ा मुश्किल हो जाता है और खासकर के बच्चों को स्कूल में बहुत मुश्किल होती है, सब उनका मजाक उड़ाने लगते है; ‘अरे देखो विलन का बेटा जा रहा है’। इसलिए एक नेगेटिव किरदार न केवल स्क्रीन पर निभाना कठिन है, बल्कि वास्तविक जीवन में भी बहुत सी मुश्किलें पैदा कर देता है।"